Bharat Bandh : दलित और आदिवासी संगठनों ने बुधवार, 21 अगस्त को संपूर्ण भारत बंद का आह्वान किया है। इस बंद के दौरान, मेडिकल और पुलिस सेवाओं को छोड़कर अधिकांश सेवाएं बंद रह सकती हैं। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आरक्षण संबंधी फैसले के खिलाफ इस बंद का आयोजन किया है।

बंद का कारण: सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति और नेशनल कंफेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को दलित और पिछड़े वर्गों के खिलाफ बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। संगठनों ने इस बंद के माध्यम से न्याय और समानता की मांग की है, जिसमें एससी, एसटी और पिछड़े वर्गों के लिए न्यायपालिका में 50% आरक्षण की प्रमुख मांग भी शामिल है।
बंद के प्रभाव: क्या रहेगा खुला और क्या बंद
हालांकि, अभी तक किसी राज्य सरकार ने बंद को लेकर कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, लेकिन यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों में इसका असर पड़ सकता है। समिति ने आम लोगों से अपील की है कि वे घर से बाहर न निकलें और बंद का समर्थन करें। सार्वजनिक परिवहन, ऑफिस, बैंक, पेट्रोल पंप, स्कूल, और कॉलेज सामान्य रूप से काम कर सकते हैं, लेकिन संगठनों ने जोर देकर कहा है कि बाकी सेवाओं को सुबह 6 बजे से रात 8 बजे तक बंद रखा जाए।
बंद के प्रभाव वाले क्षेत्र
बीएसपी, जेएमएम, और राजद जैसे दलों ने इस बंद का समर्थन किया है। बंद का प्रभाव विशेष रूप से राजस्थान, केरल, और उत्तर प्रदेश में देखा जा सकता है, और पुलिस प्रशासन को इन क्षेत्रों में अलर्ट पर रखा गया है।
बंद का उद्देश्य: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन
भारत बंद का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की पीठ द्वारा आरक्षण के भीतर आरक्षण के फैसले के विरोध में किया गया है। संगठनों का मानना है कि यह फैसला ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले के फैसले को कमजोर करता है, जिससे आरक्षण की नींव हिल सकती है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी केंद्र सरकार से अपील की है कि वह विशेष सत्र बुलाकर इस फैसले को खत्म करे। इसके साथ ही, एनएसीडीएओआर ने भी संसद से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण पर नया कानून पारित करने की मांग की है।